64 जोगणी / योगिनी का स्थान निर्देशन यंत्र फेंगशुई के चोरस कट वाले गोल सिक्के से बहुत मिलता जुलता है। आइये उनके नाम एवम वाहन को देखें।
जो गोलाकार के अंदर खाने है उनके अंदर विराजने वाली देवी के नाम 1 से 60।
बहुरूपा देवी का वाहन शव
तारादेवी का वाहन शव
नर्मदा देवी का वाहन हाथी
यमुना देवी का वाहन कछुआ
लक्ष्मी देवी का वाहन कमल
वारुणी देवी का समुद्र
गौरी का इग्वाना
इंद्राणी का ऐरावत (हाथी/ऐरावत का भेद बाद में देखेंगे)
वाराही का सुअर
पद्मावती का सर्प
मूरति का ऊंट
वैष्णवी का उल्लू
विरूपा का शुक्र (भेद है)
वैद्यरूपा का ढोल
चर्चिका का राक्षस
बेताली का मत्स्य
छिन्नमस्तिका का नरमुंड
विंध्य वासिनी का पर्वत
जलकमिनी का मेंढक
घटवारा का सींग
ककराली का कुत्ता
सरस्वती का सर्प
बिरुपा का समुद्रकी लहरें
कौबेरी का आभूषण वाला बर्तन
भालुका का पुष्प
नारसिंही का पुष्प
विरजा का कमल
विकटनयनी का (प्राप्य नही)
मोहलक्ष्मी का कमल
कौमारयी का मोर
महामाया (गोल पट्टे में केंद्रीय देवी) का कमल
रति का कामदेव
करकरी का केकड़ा
सर्पाषा का खाट (पलँग)
योशा का चौकी (बैठक, आसन)
अघोरा का बकरी
भद्रकाली का कौआ
विनायकी का गधा
विंध्यवाहनी का चूहा
अभया का बिच्छू
माहेश्वरी नन्दी
कामाक्षी का नेवला
कामनयनी का मरघी
घटबारी का सिंह
स्तुति का चन्दन का कलश
काली का शंकर
उमा का पुष्प
नारायणी का कलश
समुद्रा देवी का शंख
ब्रह्माणी का पुस्तक
ज्वालामुखी का खाट यानी पलंग या आसन
आग्नेयदेवी का भेंड़
अदिति का पोपट
चंद्रकांती का आसन
वायुवेगा का याक
चामुंडा का कस्तूरी हिरन
मुराती का हिरन
गंगा का मकर
धूमावती का बतक
गांधारी का गधा
बाकी के 61 से 64 बीच के केंद्र में भैरव के साथ स्थित है जो काफी गहरी बात है।
सर्व मंगला ( पूर्णमाहिती अप्राप्य)
अजिता देवी का हिरन
सूर्यपुत्री का अश्व
वायु वीणा का हिरन
जो अंदर के चार देवी स्थान से बाहर से जुड़े हुए खाने वाले स्थान है वह भैरव के है।
जिसमे एक पग / पद वाला भैरव के साथ तीन और भी होते है।
परा अपरा को पहचान ने के बाद वह तय होता है।
यहां हमे हिरपुर वाली चोसठ जोगणी देवी की माहिती जितनी थी वह दी। बाकी की माहीटी लिंक से देख ओर सुन सकते है।
जय गुरुदेव दत्तात्रेय, जय हिंद
जिगरम जैगीष्य
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