Friday, May 21, 2021

वैदिक चार महावाक्यार्थ

तत त्वम असि। (छान्दोग्य उपनिषद 6,8/16)
तल पर छूट के दिखाई देंता हुआ सुंदर इच्छुक में हूँ।

ऊँ सद्योजात
अ उ म स्वरूप आकाशमे अलग में हूँ।

अहम ब्रह्मास्मि (बृहदारण्यक उपनिषद 1,4,10)
अ कार रूप ह स्वरुप में ही ब स्वरुप आधे "र" आयाम वाला में ही हूँ।

प्रज्ञानम ब्रह्म ( ऐतरेय उपनिषद 3,1,3)
ब स्वरुप आधे "र" आयाम वाला में ज्ञान के अ ओर म की प्रणव मात्रा स्वरूप आगे के "र" आयाम वाले पंचमहाभूतों के अस्तित्व में हूँ।

अयमात्मा ब्रह्म। (माण्डूक्य उपनिषद 2)
अ कार रूप अम स्वरूप के यजन वाला में ब्रह्म हूँ।

जय गुरुदेव दत्तात्रेय, जय हिंद
जिगरम जैगीष्य
જય ગુરુદેવ દત્તાત્રેય, જય હિન્દ
જીગરમ જૈગીષ્ય
Jay Gurudev Dattatreya, Jay Hind
Jigaram Jaigishya
Happy Moment
शुभकामनाएं

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