बामाक्षेपा (१८३७-१९११) पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला में अबस्थित तारापीठ के एक सिद्ध तांत्रिक संन्यासी हें | एसा माना जाता हे की माँ तारा देवी ने उन्हें प्रत्ख्य दर्शन दान दिया था | निगमानन्द उनके तन्त्र शिस्य थे ।
है तो हृदय के कर्णक और क्षेपक जानते थे।
रसायन विज्ञान में प्रक्षेपक और उद्दीपक जानते थे।
भूगोल और भूमितीमें प्रक्षेप गति पृथ्वी के अनुसंधान में वर्तुल को पढ़े भी थे।
आज जब 44 साल खत्म होने में तीन दिन बाकि हे तो क्षेपा शब्द का सूफियाना अंदाज भी पता चला।
उन्हें बामखेपा भी कहते है।
खेपा सूफी संतों का एक तलपदीभाषा यानी स्थानीय भाषा का उपनाम है।
बामा नाम है। और वह भी उपनाम ही होगा। शायद। यह सूफी, संत, यानी खेपा जी राम कृष्ण परम हंस के समकालीन माने जाते है। ज्यादा जानकारी के लिए यू ट्यूब लिंक दिया है।
जय गुरुदेव दत्तात्रेय
जय हिंद
जिगरम जैगिष्य जिगर:
https://youtu.be/c21rODRs-_w
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