Sunday, August 1, 2021

जीवन के जीवित पत्थर

जीवन क्या है?
इस रात की सुबह नई!!!
जीवन क्या है?
कोई न जाने।
जो जाने, पछताए
सूरज का सातवां घोड़ा
उषा को पकड़े,
लेकिन, किन्तु, परंतु, बंधु
माटी का पुतलाही,
माटी के पुतलेको तोड़े!
"र" सबसे अच्छा और उसीसे "स" बने
लेकिन, किन्तु, परंतु, बंधु
"स" से "श" और "श" से "ष' बड़ा नही
पर हवा ज्यादा देता है।
श्रावण में द्रावण का महत्व रावण ने नही बनाया।
अहिरावण खुद पाताल की दाहक गर्मीमें था। 
समुद्र सतह पर ऐसे ही फेनम बद बुदा के  आता नही है।
पृथ्वी पर तो दशरथ और दशानन दोनो थे।
पर लवणासुर को शत्रुघ्न ने हराया।
विचार शून्य मगज ही किसके कुविचार से जगड़ता रहता है।
तभी रावण बिना किसी विचार, झगड़ते रहते राम से हनन हुआ।
औचित्य तो एकाक्षर कोष का था, है और रहेगा।
ऐसे ही राम जिसे काले माथे वाला आदमी कहा, 
वह "नमः शिवाय" के पहले "ओम" नहीं कहते।
आजके जमाने मे कुश:द्विप पर,
कृष्ण का पता मुझे नही मालूम।
केलिफोर्निया की घाटी के स्थिर पत्थर भी चलते है।
और वैज्ञानी धरा के ध्रुवीकरण को भी नही पहचान कर
आसमान में अपना कचरा डालता रहता है।
लेकिन त्रिप्रिमानवीय अवनि पर पलसार का आगाज़ ही आवाज़ की अनुभूति से छोड़ देता हु।
जय गुरुदेव दत्तात्रेय
जय हिंद
जिगरम / जिगर महेता / जैगीष्य

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