Thursday, July 22, 2021

अक्स जिगरिया का

आजकी कविता अनुपम खेर के ट्वीट से प्रेरित ही है।

वक़्त से पहले हादसों से लड़ा हूँ,
मैं अपनी उम्र से कई साल बड़ा हूँ।
जहां तक पहूंचा था पंच तत्व के साथ,
हर बात वर्तमानकी क्षेत्रमें वाकिफ  हुं।
बात थी चमकती चमड़ी की टाल की।
फिरभी खुदके काले आदित्यका संभूति योग ढूंढता हूं।
भ्रमर, मूछ, दाढ़ी, रोम, सब हर्षाणवित थे की अचानक,
मेरे खुदके वक्त का "अ" समय लाया हूं।

जय गुरुदेव दत्तात्रेय

जय हिंद

जिगरम जैगिष्य जिगर:





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