जो आज गुजरात नामक जो राज्य है, उसके प्राचीन नामोंकी विरासत देखे तो...
गुर्जर प्रदेश
भिन्नमाल
लारवा
मालव प्रदेश
स्तम्भन तीर्थ
आभीर
शुर्पारक
पाटण
प्रभास पाटण
सोरठ
सौराष्ट्र या सुराष्ट्र
कच्छ
भृगुकच्छ
विदर्भ
नर्मद प्रदेश
विंध्याचल गिरी
अवंति
दक्षिण सिंधु तट
जैसे नामोंसे विविध भाषा मे प्रचलित नित्य है।
सोलंकी युग में राजा सिद्धराज जयसिंह ने पाटण नामसे प्रचलित किया। और जैन मुनि हेमचंद्राचार्य जी ने विविध ग्रंथ से उस वक्त बहुत धार्मिक कार्योंका प्रावधान किया। एवम उस वक्त जो आदिवासी थे उनका नेता बाबरा भूत जो कीसीके वश नहीं आता था वह राजा का मित्र बना बादमे आध्यात्मिक प्रथा में हस्त प्रावधान बना शायद।
पाटण की प्रभुता, जय सोमनाथ जैसे आजभी अर्वाचीन युग मे महत्तम पढ़े जानी वाली उत्कृष्ट पुस्तक कनैया लाल मुंशी जी ने लिखी।
पाटण राजधानी था, लेकिन उस वक्त पटोले जो कारीगरी बुनकरोंने विकसित की वह कापड़ी सम्प्रदाय से आध्यात्मिक तौरसे मिलती जुलती है। वह फिर कभी।
यहां पाटण का पटोला मतलब, जैसे कि स्पेक्ट्रम या श्री रंगपट्टनम जैसे अर्थमे पहने जाने वाली साड़ी।
पटोला, जिसमे हस्त यानी हाथ ओर उससे अपभ्रंश हाथी की प्रतीक चिह्न नामचीन हुई और आजभी है।
श्री सूक्त यानी देवी लक्ष्मी की स्तुति में भी हस्तिनाद प्रबोधिनिम से उल्लेखनीय स्त्री महत्ता है।
प्राचीन हर अलग गांव की विविधता उस वक्त थी ही। ओर हर गाँव की विषयवस्तुत: अलगाव भात यानी डिज़ाइन होने से हर जगह देश विदेश में उसकी बाज़ार पूरी तरह की खुमारी ओर पैटर्न विकसित थी और आजभी है।
मेरे ससुर के पास एक वशय वस्तु का फिल्मांकनके लिए एक स्क्रिप्ट ऐसी कुछ आई थी।
ससुर के फ़िल्म का स्क्रीन प्लाट का सिनॉप्सिस
प्राचीन दो गाव , पिताका गाँव से बाहिरही पुत्री की शादी कराणे का निश्चय। पर गाव की पटोले की पैटर्न्स से चिंतित। युवक युवती प्रेम, दोनो गाँवकी पटोले की डिजाइन की पैटर्न की बहुत डिफ्रेंस होने से एक गांवका mkt बहुत कम था। जब बिन माँकी बच्चीको ब्याह हुआ तो पूरे गांवके विरुद्ध हुआ। जिससे पैटर्न जानने वाली लड़की ने ससुराल में अपने गांव की कलाकारीगरी से ससुराल का mkt बढ़ाया। जब पैटर्न टूटी तो लड़की के बाप पर गांववालोंकी तवै यानी थोन्ससे बाप को मजबूरन आत्महत्या करनी पड़ी।
विमल, रेमंड, अरविंद, केलिको के आने से मानचेस्टर अहमदाबाद आजभी ट्रेडिंग बहुत रिटेल क्षेत्रमे कर रहाहै पर उस वक्त नही था इतना mkt।
कीमतोंके तौर तरीके काफी अलग है ओर थे लेकिन जो पहले सीमित दायरे की कारीगरी थी उसमे किफायती कापड के साथ बारीक चित्र की भात कहि कहि परही थी और वही पैटर्न थी।
पाटण के रहने वालों को, लोगोंको पट्टणी कहते थे। और उसी शब्द प्रावधान से सदी से साड़ी की सौगात पटोला या पटोले कहई गयी।
आज तो कड़वा ओर लेउआ की चरोतर की आदिवासी प्रजाति खेती के व्यवसाय में आई उसे पटेल शब्द से भी जगमशहूर अमेरिका के पासपोर्ट ओर इमिग्रेशन विभाग से कर दिया है।
पाटण यानी अ कार रूपी एक रंगीन पट्ट का निर्माण
यहां स्तम्भनाग्निकी बात भी सोची जा सकति है। क्योंकि सूर्य प्रकाश के अंदर सात रंग छुपे है। मानव शरीर मे सप्त कुंडली भी है। ओर अमेरिका के करंसी नॉट में आंख ओर इंग्लैंद की करंसी नॉट में रानी।
पटोला विशेषत: स्त्री जे बारेमे ही है???
जय गुरुदेव दत्तात्रेय
जय हिंद
जिगरम जैगीष्य
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